black likes blonde milf.great post to read https://xxxbest.net doctor fuck patient. beautiful doll is delighting her pierced fur pie with fingering. moonlightsex.pro www.letmefap.net

अलवर जिला दर्शन PDF (Alwar District GK in Hindi) : अलवर जिले की सम्पूर्ण जानकारी

0 2,997
Telegram GroupJoin Now

अलवर जिला दर्शन : इस पोस्ट में अलवर जिला दर्शन PDF सीरीज में अलवर का सामान्य परिचय, अलवर का क्षेत्रफल, अलवर के उपनाम, अलवर का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार, अलवर के प्रमुख मंदिर, अलवर के पर्यटन स्थल, अलवर के प्रमुख मेले और त्यौहार, अलवर के प्रमुख दर्शनीय स्थल, अलवर के सामान्य ज्ञान, अलवर जिले की खनिज संपदा, अलवर जिले के अभयारण्य इत्यादि को शामिल किया गया हैं।

Alwar District PDF, Alwar Jila Darshan PDF Download, Alwar District GK Questions PDF, Alwar District GK in Hindi, Pushkar tirth, GK Question in Hindi, Pushkar place, Alwar Jila Darshan, Alwar GK, Alwar GK in Hindi, Alwar Fort, GK Questions of Alwar, Rajasthan gk questions, Rajasthan gk pdf in Hindi.
Alwer District GK in Hindi

अलवर का सामान्य परिचय

  • अलवर जिले का क्षेत्रफल : 8380 वर्ग किलोमीटर।
  • अलवर जिले की कुल जनसंख्या : 36,74,179 (वर्ष 2011 की जनगणना)
  • अलवर में लिंगानुपात : 895 (वर्ष 2011 की जनगणना)
  • अलवर जिले में जनसंख्या घनत्व : 438 प्रति वर्ग किलोमीटर (वर्ष 2011 की जनगणना)
  • अलवर जिले की कुल तहसील – अलवर जिले की कुल 16 तहसील हैं जिनके नाम निम्न है – अलवर,तिजारा, राजगढ़, मुंडावर, गोविंदगढ़, कठूमर, बानसूर, थानागाजी, किशनगढ़ बास, रैणी, मालाखेड़ा, कोटकासिम , लक्ष्मणगढ़, बहरोड, नीमराना, रामगढ़।
  • अलवर की सीमा:– भरतपुर, दौसा, जयपुर व सीकर से लगती है।
  • अलवर जिले की सीमा पर स्थित पड़ोसी जिले – भरतपुर, दौसा, जयपुर व सीकर जिले।

अलवर जिले का इतिहास

‘पूर्वी राजस्थान का कश्मीर’ नाम से प्रसिद्ध अलवर की स्थापना कछवाहा वंश के रावराजा प्रताप सिंह ने की थी। राजधानी विराटनगर थी। स्वतंत्रता के पश्चात 18 मार्च 1948 को (एकीकरण का प्रथम चरण) अलवर, भरतपुर, धौलपुर तथा करौली को मिलाकर मत्स्य संघ की स्थापना की गई तथा बाद में 15 मई 1949 को मत्स्य संघ एवं वृहत राजस्थान (चतुर्थ चरण) को मिलाकर संयुक्त वृहत राजस्थान का निर्माण किया गया। वर्तमान में अलवर जिला जयपुर संभाग में है।

अलवर की स्थापना

“राजस्थान का सिंह द्वार” नाम से प्रसिद्ध अलवर जिले की स्थापना कच्छवाहा वंश के राव राजा प्रताप सिंह द्वारा की गई थी। महाजनपद काल में यह क्षेत्र मत्स्य जनपद के नाम से प्रसिद्ध था और इसकी राजधानी विराटनगर (वर्तमान में बैराठ) थी।

अलवर जिले के उपनाम

💧राजस्थान का स्कॉटलैंड
💧पूर्वी राजस्थान का कश्मीर
💧राजस्थान का सिंह द्वार
💧राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र
💧साल्व प्रदेश।

अलवर की स्थिति

  • अलवर जिले की अक्षांशीय स्थिति : 27 डिग्री 4 मिनट उत्तरी अक्षांश से 28 डिग्री 4 मिनट उत्तरी अक्षांश तक।
  • अलवर जिले की देशांतरीय स्थिति : 76 डिग्री 7 मिनट पूर्वी देशांतर से 77 डिग्री 13 मिनट पूर्वी देशांतर तक।

अलवर के विधानसभा क्षेत्र

अलअलवर जिले के कुल 11 विधानसभा क्षेत्र, जो निम्न है –

📢तिजारा
📢किशनगढ़ बास
📢राजगढ़
📢लक्ष्मणगढ़
📢मुंडावर
📢अलवर शहर
📢रामगढ़
📢थाना गाजी
📢बानसूर
📢कठूमर
📢बहरोड
📢अलवर ग्रामीण।

अलवर जिले के मेले और त्यौहार

📢बिलारी माता का मेला : यह मेला अलवर के बिलारी स्थान पर चैत्र शुक्ला 7-8 को भरता है।
📢चंद्रप्रभु मेला – यह मेला तिजारा (अलवर) में फाल्गुन शुक्ला सप्तमी एवं श्रावण शुक्ला दशमी को भरता है।
📢भृर्तहरि का मेला – भृर्तहरि का मेला अलवर जिले के भृर्तहरि (महान योगी भृर्तहरि की तपोभूमि) में भाद्रपद शुक्ला 8 को भरता है।

नौगांवा के जैन मंदिर:-

  • यहां के जैन मंदिरों में तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ जी का 9 चौकिया मंदिर बहुत ही प्राचीन है, इसका निर्माण संवत 803 में करवाया गया था।
  • अलवर जिले में अलवर-दिल्ली मार्ग पर स्थित नौगांवा कस्बा समूचे उत्तरी भारत में दिगंबर जैन समाज का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
  • इस जैन मंदिर में विराजमान मल्लीनाथ की प्रतिमा की एक खास विशेषता है, कि इस पर आगे के निचले हिस्से पर कुछ अंकित होने की बजाय इसकी पीठ पर प्रशस्ति अंकित है।
  • जैन तीर्थकर शांतिनाथ भगवान का विशाल मंदिर जिसे ऊपर वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है यहीं पर स्थित है।

नारायणी माता का मंदिर:-

  • नारायणी माता का यह मंदिर अलवर जिले के राजगढ़ तहसील में बरवा डूंगरी की पहाड़ी की तलहटी ने स्थित है।
  • इस मंदिर में प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला एकादशी को नारायणी माता का एक विशाल मेला भरता है।
  • यह मंदिर सघन वृक्षों से घिरा हुआ है तथा यह सभी संप्रदायों एवं वर्गों का आराध्य स्थल है।

विजय मंदिर पैलेस:-

  • अलवर जिले में विजय सागर बांध के तट पर महाराजा जयसिंह द्वारा 1918 में निर्मित विजय मंदिर पैलेस पर्यटन की दृष्टि से खास महत्व रखता है।
  • यहां पर सीताराम का भव्य मंदिर भी स्थित है।
  • इस भव्य महल और ऊंची मीनार का प्रतिबिंब झील के पानी में झिलमिलाता हुआ प्रतीत होता है, तो उस समय वहां का दृश्य बहुत ही मनोहारी दिखाई देता है।
  • झील के निकट बने इस मनोहरी भवन की दीवारें धार्मिक एवं पौराणिक संदर्भों पर आधारित भित्ति चित्रों से अलंकृत है।

बाबा मोहन राम का थान:-

  • बाबा मोहन राम का यह थान अलवर के भिवाड़ी के मलिकपुर गांव में पहाड़ी पर स्थित है।
  • यह लोक आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।

मूसी महारानी की छतरी:-

  • अलवर जिले में लाल पत्थर एवं सफेद संगमरमर से महाराजा बख्तावर सिंह और मूसी महारानी की की स्मृति में बनी दो मंजिली इस छतरी का निर्माण अलवर के महाराजा विनय सिंह ने करवाया था।
  • यह छतरी सफेद संगमरमर के 80 कलात्मक खंभों पर टिकी हुई है। इसलिए इसे 80 खम्भो की छतरी भी कहते है।

ईटाराणा की कोठी:-

  • इसका निर्माण अलवर के महाराजा जयसिंह ने करवाया था।
  • यह उत्कृष्ट जाली झरोकों व तोरणनुमा टोडे से युक्त है।
  • यह मनोहारी एवं मेहराबदार छतरियां वाले भवन है।

रावण पार्श्वनाथ मंदिर:-

  • यह मंदिर अलवर शहर में स्थित है।
  • यह एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है।

सिलीसेढ़ झील, अलवर:-

  • अलवर सिलीसेढ़ झील का निर्माण महाराजा विनय सिंह ने 1845 ईसवी में अपनी रानी शीला के लिए करवाया था।
  • इस झील के मध्य स्थित टापू पर महाराजा विनयसिंह ने अपनी रानी शिला के लिए 1844 ई. में छ: मंजिला महल बनवाया।
  • वर्तमान में सिलीसेढ़ के इस महल को होटल लेक पैलेस में तब्दील कर दिया गया।
  • यह झील अलवर जिले की सबसे प्रसिद्ध और सुंदर झील है।
  • सिलीसेढ़ झील को राजस्थान का नंदनकानन भी कहा जाता है।
  • सिलीसेढ़ झील दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 पर स्थित है।

अलवर जिले के खनिज:-

  • झकराना, नीमराना – सिलेटी पत्थर के लिए प्रसिद्ध है।
  • भि‍वाड़ी—भिवाड़ी, राजस्थान का नवीन मेनचेस्टर कहलाता है। राज्य का तीसरा कंटेनर डीपो भिवाड़ी में है। नोटों की स्याही बनाने का कारखाना। ग्लास फैक्ट्री फ्राँस की सेंट गोबेन कंपनी द्वारा स्थापित। राजस्थान में कार उत्पादन का प्रथम संयन्त्र यहीं स्थापित किया गया था, तथा राजस्थान में सर्वाधिक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भी भि‍वाड़ी में ही स्थित है।
  • खो दरीबा, राजगढ़ व बादामपुर से संगमरमर प्राप्त होता है।
  • राजगढ़ एवं पुरवा से लौह अयस्क प्राप्त होता है।
  • खो दरीबा तांबे के लिए प्रसिद्ध है।
  • थानागाजी—लाल पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध।
  • टपूकड़ा—प्रथम एकीकृत औद्योगिक पार्क तथा होंडा कम्पनी की दूसरी भारतीय इकाई हैं।
  • नीमराणा—जापान जोन के नाम से प्रसिद्ध। राज्य का तीसरा निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क हैं।

सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण्य, अलवर:-

  • उपनाम—बाघों की मांद।
  • यह अभ्यारण्य अलवर जिले में स्थित है।
  • सरिस्का अभयारण्य 492 वर्ग किमी. पर विस्तृत अलवर से 35 किमी. दूर जयपुर – दिल्ली मार्ग पर स्थित है।
  • कांकनवाड़ी का किला भी सरिस्का अभयारण्य मे स्थित है।
  • यह राज्य का सबसे छोटा अभयारण्य है।
  • यहां पर सर्वाधिक लंगूर, हरे कबूतर, बंदर पाए जाते हैं।
  • इस अभयारण्य में नीलकंठ महादेव, पांडुपोल हनुमान जी, ताल वृक्ष,  भृर्तहरि,  राजोरगढ़ नामक स्थान पर शिव एवं नौगजा आदि दर्शनीय स्थल है।
  • सरिस्का वन्य जीव अभयारण की स्थापना सन् 1955 में हुई।
  • राजस्थान की दूसरी बाघ परियोजना 1978 ईस्वी में यहां शुरू की गई।
  • यहां मयूरों का घनत्व सर्वाधिक है।
  • स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राजस्थान के सरिस्का में कैबिनेट मीटिंग ली थी।

अलवर जिले के प्रमुख संप्रदाय:-

  • चरणदासी संप्रदाय –  इस संप्रदाय के कुल 42 नियम है। चरणदासी संप्रदाय के संस्थापक चरणदास जी थे। चरणदास जी ने भारत पर नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी। चरणदासी संप्रदाय की प्रधान पीठ दिल्ली में है। चरण दास जी की शिष्या दया बाई ने दया बोध व विनयमलिका  का नामक ग्रंथों की रचना की थी।
  • लालदासी संप्रदाय – लालदासी संप्रदाय की प्रधान पीठ नगला (भरतपुर) में है। लालदासी संप्रदाय के संस्थापक लालदास जी थे।लालदास जी का समाधि स्थल शेरपुर (अलवर जिले) में स्थित है।

कांकनवाड़ी का किला, अलवर:-

  • यह प्रसिद्ध दुर्ग सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण्य के घने जंगल में स्थित है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस अभेद्य दुर्ग का निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया था।
  • यह दुर्ग गिरी दुर्ग तथा वन दुर्ग दोनों प्रकार के दुर्गो की श्रेणी में आता है।
  • दुर्ग की ऊपरी मंजिल पर भित्ति चित्रों से अलंकृत बारहदरी बनी हुई है।
  • इस दुर्ग में औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को कैद करके रखा था।

अलवर दुर्ग (बाला किला):-

  • अलवर दुर्ग के उपनाम – बड़ा किला, बावनगढ़ का लाडला, अलवर का किला, कुंवारा किला (इस किले पर कभी युद्ध नहीं हुआ)
  • 1775 ईस्वी में माचेड़ी के शासक व कछवाहा वंश  की नरुका शाखा के राव प्रताप सिंह ने अधिकार कर इसको जयपुर से स्वतंत्र कराकर अलवर रियासत की डाली थी।
  • अलवर के किले के 6 प्रवेश द्वार है – चांदपोल, सूरजपोल, जयपोल, किशनपोल, अंधेरी गेट एवं लक्ष्मणपुर।
  • इस दुर्ग में बाबर एक रात रुका था तथा अकबर ने अपने पुत्र जहांगीर को यहां नजर बंद करवाया था।
  • भरतपुर नरेश सूरजमल ने औरंगजेब की मृत्यु के बाद इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया था तथा उसमें महल एवं एक कुंड सूरजकुंड बनवाया था।
  • इस दुर्ग का पुनर्निर्माण हसन खा मेवाती ने करवाया था।
  • अलवर दुर्ग का निर्माण कोकिल देव के पुत्र अलघुराय ने करवाया था।
  • हसन खान मेवाती ने खानवा के युद्ध में सांगा की ओर से बाबर के खिलाफ लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी।
  • यह दुर्ग एक पर्वत शिखर पर स्थित है, जिसके नीचे एक अलपुर नामक नगर बसाया गया।
  • बाबर ने इस दुर्ग पर अधिकार कर इसे अपने पुत्र हिन्दाल को जागीर में दे दिया था।
  • अलवर दुर्ग की प्राचीर लगभग 6 मील लंबी है, इस दुर्ग की प्राचीर में शत्रुओं पर गोले बरसाने के लिए छेद किए हुए हैं।
  • शेरशाह सूरी के उत्तराधिकारी सलीम शाह के काल में यहां सलीम सागर जलाशय बनवाया था।

भानगढ़ दुर्ग, अलवर:-

  • यह दुर्ग सांवण नदी के तट पर सरिस्का अभयारण्य में राजगढ़ तहसील में स्थित है।
  • वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है।
  • इसको खंडहरों का नगर व भूतहा किला के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस दुर्ग का निर्माण आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573 ईस्वी में करवाया था।

राजोरगढ (नीलकंठ दुर्ग):-

  • बडगूजर शासक मंथनदेव ने यहां पर भव्य नीलकंठ महादेव मंदिर बनवाया था। इसके पश्चात से ही यह नगर नीलकंठ राजोरगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। यह मंदिर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की भव्य प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, इसे लोग नौगजा मंदिर कहते हैं, इस कस्बे को पारा नगर भी कहते हैं।
  • 12 वीं शताब्दी में यहां बडगूजर शासकों का अधिकार रहा था।
  • यह दुर्ग अलवर जिले के टहला कस्बे के पास अरावली पर्वतमाला की एक पहाड़ी पर स्थित है।

अलवर चित्र शैली:-

  • इस शैली का स्वर्णकाल विनय सिंह के शासनकाल को माना जाता है।
  • जमुनादास, छोटेलाल, बक्सा राम, शालिग्रा,म नंदराम चित्रकार राजस्थान के अलवर शैली से संबंधित है।
  • इस शैली पर ईस्ट इंडिया कंपनी का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा था, इसलिए इसमें वन, उपवन, कुंजविहार, अश्लील नृत्यांगना, वेश्याओं के चित्र मिलते हैं।
  • यह शैली गणिकाओ/वेश्याओं के चित्र एवं बसलो चित्रण (बॉर्डर पर चित्रण) के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह शैली मुगल शैली तथा जयपुर शैली का सम्मिश्रण माना जाता है।

अलवर के महत्वपूर्ण प्रश्न

  • अलवर के जलाशय:- विजय सागर, मान सरोवर,सिलीसेढ़ झील, तिजारा बाँध, जयसमंद बाँध।
  • शिमला:- इसे कम्पनी बाग भी कहते हैं। इसका निर्माण महाराजा श्योदान सिंह ने 1868 ई. में करवाया।
  • सागर:- इसका निर्माण महाराजा विनय सिंह ने करवाया। इसके दक्षिण में महाराजा बख्तावर सिंह की छतरी है।
  • अलीबख्सी ख्याल:— इसके प्रवर्तक भंडावर के ठाकुर रुड़े खाँ के पुत्र अलीबख्स थे।
  • राजस्थान के चंदौली (अलवर) स्थान पर भारत के प्रथम ‘माइनॉरिटी साइबर विलेज’ का उद्घाटन किया गया।
  • भपंग:- मेवात प्रदेश का प्रसिद्ध लोक वाद्य है।
  • देश का प्रथम राष्ट्रीय उत्पादन एवं निवेश केंद्र अलवर जिले में है।
  • नवगोल्ड:— अलवर जिले के नौगांवा में स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र द्वारा जारी की गई पीली सरसों की नई किस्म का नाम ‘नवगोल्ड’ है।
  • करेंसी नोटों की स्याही बनाने का कारखाना भिवाड़ी (अलवर) में है।
  • नीमराणा दुर्ग पाँच मंजिला बना हुआ है, अत: इसे ‘पंचमहल’ कहते हैं।
  • अलवर का संग्रहालय:- 1837 में महाराजा विनयसिंह ने कुतुबखाना पुस्तकालय की स्थापना की।
  • अहीरवाटी:- बहरोड़, मुण्डावर कोटपूतली आदि क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोली।
  • भारत का प्रथम जल विश्वविद्यालय अलवर में है।
  • राजस्थान की प्रथम प्याज मंडी अलवर जिले में है।
  • सरिस्का पैलेस:- इसका निर्माण महाराजा जयसिंह ने ड्यूक ऑफ एडिनब्रा की शिकार-यात्रा के उपलक्ष में करवाया।
  • फतहगंज गुम्बद:- पाँच मंजिला इस इमारत का निर्माण फतहगंज खाँ की स्मृति में करवाया गया।
  • ताल वृक्ष:- ऋषि मांडव्य की तपोभूमि।
  • तिजारा:- जैन मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध।
  • बहरोड़ — पशु मेला मुर्रा नस्ल की भैंस हेतु प्रसिद्ध तथा जिलाणी माता का मन्दिर।
  • तिजारा — अलाउद्दीन आलम शाह का मकबरा तथा चन्द्रप्रभू स्वामी का जैन मन्दिर।
  • देश का प्रथम मॉडल जिला अलवर है।
  • भारत का पहला इंटीग्रेटेड ट्रेफिक मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट अलवर जिले में खुलेगा।
  • सफदरगंज की मीनार, अजबगढ़, झिलमिल देह अलवर में स्थित है।
  • भारत का पहला राष्ट्रीय स्तर का खेल गांव जरौली, तिजारा (अलवर) में है।
  • राजस्थान ग्रामीण बैंक:— सीकर एवं शेखावाटी ग्रामीण बैंक व अलवर, भरतपुर, धौलपुर आंचल की ग्रामीण बैंकों का विलय कर नवीन राजस्थान ग्रामीण बैंक की स्थापना की। जिसका मुख्यालय अलवर में है।
  • खुशखेड़ा (अलवर) में पुष्प पार्क बनाया गया है।
  • अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु फरवरी माह में आयोजित ‘अलवर उत्सव’ को वर्ष 2008 से ‘मत्स्य उत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है।
  • देश का प्रथम राष्ट्रीय उत्पादन एवं निवेश केन्द्र-अलवर।
  • बम रसिया:— अलवर का बम नृत्य प्रसिद्ध है। यह नृत्य राजस्थान में सर्वाधिक प्रसिद्ध डीग (भरतपुर) का है।
  • मुर्रा नस्ल की सर्वाधिक भैंसे अलवर जिले में पाई जाती है।
  • कागजी बर्तन (बहुत पतली परत वाले ) के लिए अलवर प्रसिद्ध है।
  • राजस्थान का पहला जिला जिसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल किया गया अलवर जिला है।
  • अलवर में मेव जाति का प्रथम आन्दोलन 1921 में शुरु हुआ।
  • राजस्थान का एकमात्र शुकर प्रजनन केंद्र अलवर जिले में है।
  • चिप्स पाउडर के लिए राजगढ़ प्रसिद्ध है।
  • शहरी जनसंख्या में सर्वाधिक दशक की वृद्धि अलवर जिले में देखने को मिली है।
  • राजस्थान का एकमात्र शुकर प्रजनन केंद्र अलवर जिले में है।
  • भारत का प्रथम अल्पसंख्यक साइबर ग्राम-चन्दौली (अलवर) स्थापना-19 फरवरी, 2014.
  • टाइघर डेन (RTDC की होटल)—अलवर में (सरिस्का) है।
  • कनिंघम ने शाल्वपुर की अलवर नगर के रूप में पहचान की थी।
  • सर्वाधिक 16 तहसील अलवर जिले में है।
  • पांडुपोल:- यह एक प्राकृतिक मनोहर स्थल । अज्ञातवास के समय पांडवो को इसी स्थान पर कौरव सेना ने घेर लिया था, तब महाबली भीम ने गदा मारकर रास्ता बनाया और सुरक्षित निकलने मे सफल हुए ।
  • नीमराणा की बावड़ी का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था।
  • हिचकी अलवर का प्रसिद्ध लोकगीत है।
  • कुल अनाज उत्पादन मे अलवर प्रथम स्थान पर है।
  • कम्प्यूटर कम्पनी NITI ने नीमराणा में कम्प्यूटर विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की।
  • सबसे छोटा अभयारण्य सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण अलवर जिले में है।
  • बाला दुर्ग मे मुगल बादशाह बाबर एक रात के लिए रूका था ।
  • नीमूचणा काण्ड—14/05/1925, किसान आन्दोलन के प्रसिद्ध नीमूचणा काण्ड को गाँधीजी ने जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड जैसी वीभत्स घटना बताया।
  • अलवर प्रजामंडल आंदोलन — 1938 ई. में अलवर राज्य प्रजामंडल की स्थापना पं. हरिनारायण शर्मा द्वारा कुंजबिहारी मोदी के सहयोग से की गई। इसके अध्यक्ष श्री लक्ष्मणस्वरूप त्रिपाठी को बनाया गया। जनवरी 1944 ई. में अलवर प्रजामंडल का अधिवेशन भवानी शंकर शर्मा की अध्यक्षता में हुआ।

Also Read : अजमेर जिला दर्शन PDF

इसमें आप सभी के लिए अलवर का सामान्य परिचय, अलवर के प्रमुख मंदिर, अलवर के प्रमुख दर्शनीय स्थल, अलवर के उपनाम, अलवर का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार, अलवर के प्रमुख मेले और त्यौहार, अलवर के पर्यटन स्थल, अलवर जिले की खनिज संपदा, अलवर जिले के अभयारण्य, अलवर का क्षेत्रफल, अलवर के सामान्य ज्ञान एवं इसके अलावा जितने भी अलवर जिले से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य थे, उन सभी को शामिल कर पेश किया है। उम्मीद है कि आप सभी को यह पोस्ट अच्छी लगी होगी।

Tags: Alwar District PDF, Alwar Jila Darshan PDF Download, Alwar District GK Questions PDF, Alwar District GK in Hindi, Pushkar tirth, GK Question in Hindi, Pushkar place, Alwar Jila Darshan, Alwar GK, Alwar GK in Hindi, Alwar Fort, GK Questions of Alwar, Rajasthan gk questions, Rajasthan gk pdf in Hindi.



Telegram GroupJoin Now
Leave a comment
www.chicasenred.me sextophd.net