राजस्थान की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार PDF
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राजस्थान की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार के फैक्ट्स
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राजस्थान की स्थिति एवं विस्तार
राजस्थान की सीमाएं
राजस्थान के प्रमुख संभाग एवं उनमे जिले
संभाग | जिले |
---|---|
सीकर | सीकर, झुंझुनू, नीम का थाना, चूरू |
पाली | पाली, जालौर, सांचौर, सिरोही |
बांसवाड़ा | बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ |
जयपुर | जयपुर, दूदू, कोटपूतली-बहरोड़, दौसा, खैरथल, अलवर, जयपुर ग्रामीण |
बीकानेर | बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़ |
अजमेर | अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, टोंक, नागौर, डीडवाना-कुचामन, शाहपुरा |
भरतपुर | भरतपुर, धौलपुर, करौली, डीग, गंगापुरसिटी, सवाई माधोपुर |
कोटा | कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ |
जोधपुर | जोधपुर, फलोदी, जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा, जोधपुर ग्रामीण |
उदयपुर | उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, राजसमंद, सलूंबर |
राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्र के उपनाम
अरावली – आडवाल।
कांठल – माही नदी के किनारे-किनारे (कंठा) प्रतापगढ़ का भू-भाग कांठल है इसलिए माही नदी को कांठल की गंगा कहते है।
कुरू – अलवर का कुछ हिस्सा।
कूबड़ पट्टी – अजमेर, नागौर के आस-पास का क्षेत्र जहाँ जल में फ्लोराइड़ कि मात्रा अधिक होती है। जिससे शारीरिक विकृति(कूबड़) होने की सम्भावना हो जाती है।
कोठी – धौलपुर (सुनहरी कोठी-टोंक)।
खेराड़ – भीलवाड़ा व टोंक का वो क्षेत्र जो बनास बेसिन में स्थित है।
गिरवा – उदयपुर में चारों ओर पहाड़ियाँ होने के कारण उदयपुर की आकृति एक तश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।
गूजर्राजा – जोधपुर का दक्षिण का भाग।
गोडवाड – बाड़मेर, जालौर सिरोही।
चन्द्रावती – सिरोही व आबु का क्षेत्र।
छप्पन का मैदान – बासवाडा व प्रतापगढ़ के मध्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। यह मैदान माही नदी बनाती है। (56 गावों का समूह या 56 नालों का समूह)
जांगल प्रदेश – बीकानेर तथा उत्तरी जोधपुर।
ढूढ़ाड़ – जयपुर के आस-पास का क्षेत्र।
देवल/ मेवल – डूंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग।
देशहरो – उदयपुर में जरगा (उदयपुर) व रागा (सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्र सदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।
धरियन – जैसलमेर जिले का बालुका स्तुप युक्त क्षेत्र जहाँ जनसंख्या ‘न’ के बराबर है धरियन कहलाता है।
नाकोड़ा पर्वत/छप्पन की पहाड़ियाँ – बाडमेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ियों का समुह नाकोड़ा पर्वत/छप्पन की पहाड़ियाँ कहलाती है।
नाल – अरावली के दर्रों को नाल कहा जाता है।
पीडमांट मैदान – अरावली श्रेणी में देवगढ़ (राजसमंद) के समीप पृथक निर्जन पहाड़ियां जिनके उच्च भू-भाग टीले नुमा है पीडमांट कहलाते हैं।
पुष्प क्षेत्र – डुंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है।
बग्गी – घग्घर नदी के उत्तरी उपजाऊ क्षेत्र को बग्गी कहा जाता है।
बांगड़/बांगर – शेखावाटी व मरूप्रदेश के मध्य संकरी पेटी।
बीहड़/डाग/खादर – चम्बल नदी सवाई माधोपुर करौली धौलपुर में बडे़-बडे़ गड्डों का निर्माण करती है इन गड्डों को बीहड़/डाग/खादर नाम से पुकारा जाता है। यह क्षेत्र डाकुओं की शरणस्थली के नाम से जाना जाता है।
भाखर/भाकर – पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों का क्षेत्र भाकर/भाखर कहलाता है।
भोमट – डुंगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिले का आदिवासी प्रदेश।
भोराठ/भोराट का पठार – उदयपुर के कुम्भलगढ व गोगुन्दा के मध्य का पठारी भाग।
मगरा – उदयपुर का उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है।
माल खेराड़ – ऊपरमाल व खेराड़ क्षेत्र सयुंक्त रूप में माल खेराड़ कहलाता है।
माल/वल्ल – जैसलमेर।
मालवा का क्षेत्र – झालावाड़ व प्रतापगढ़ संयुक्त रूप से मालवा का क्षेत्र कहलाता है।
मालानी – जालौर ओर बालोतरा के मध्य का भाग।
मेवात – उत्तरी अलवर।
योद्धेय – गंगानगर व हनुमानगढ़।
राठ – अलवर व भरतपुर का वो क्षेत्र जो हरियाणा की सीमा से लगता है राठ कहते है।
लाठी सीरीज क्षेत्र – जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ़ तक (60किलोमीटर) पाकिस्तानी सीमा के सहारे विस्तृत एक भू-गर्भीय मीठे जल की पेटी। इसी लाठी सीरीज के ऊपर सेवण घास उगती है।
लासड़िया का पठार – उदयपुर में जयसमंद से आगे कटा-फटा पठारी भाग।
लिटिल रण – राजस्थान में कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र को लिटिल रण कहते है।
वागड़ – डूंगरपुर व बांसवाड़ा।
शिवि/मेदपाट/प्राग्वाट – उदयपुर व चित्तौड़गढ़(मेवाड़)।
शूरसेन – भरतपुर, धौलपुर, करौली।
शेखावाटी – चुरू, सीकर झुंझुंनू।
सुजला क्षेत्र – सीकर, चुरू व नागौर सयुंक्त रूप से सुजला क्षेत्र कहलाता है।
राजस्थान की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार PDF Download
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