Chittorgarh District GK In Hindi ➥ चित्तौड़गढ़ जिले की सम्पूर्ण जानकारी
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Chittorgarh District GK in Hindi
- 23 नवम्बर, 1881 में पद्मिनी महल में महाराणा सज्जनसिंह के दरबार का आयोजन किया गया था जिसमें तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉड रिपन स्वयं शामिल हुए थे और महाराणा को ‘ग्रेट कमाण्डर ऑफदी स्टार ऑफ इंडिया’ की उपाधि प्रदान की थी।
- अकोला : यह रंगाई-छपाई का पमुख केन्द्र है। यहाँ की छपाई को दाबू प्रिंट के नाम से जाना जाता है।
- असावरी माता का मंदिर — चित्तौड़गढ़ की भदेसर पंचायत समिति के पास निकुंभ में असावरी माता (आवरी माता) का मंदिर है जहाँ लकवे के मरीजों का इलाज किया जाता है।
- आदिवासियों के मसीहा, बावजी, मेवाड़ के गाँधी के नाम से प्रसिद्ध मोतीलाल तेजावत ने एकी आन्दोलन की शुरूआत मातृकुण्डिया से की इसमें भीलों की 21 माँगों का जिक्र किया जिसे ‘मेवाड़ पुकार’ की संज्ञा दी गई।
- इस जिले का एक भाग-भैंसरोड़गढ़ जिले की सीमा से पृथक बूंदी और कोटा से सटा हुआ है।
- इस जिले की आकृति ‘घोड़े की नाल’ के समान है।
- एशिया का सबसे बड़ा जिंक स्मेलटर प्लांट-चंदेरिया में है।
- कपासन : यह नगर नारियल के खोल की चूड़ियाँ बनाने के लिए विख्यात है।
- खातड रानी का महल : चित्तौड़गढ़ दुर्ग में पद्मिनी के महलों के पीछे महाराणा क्षेत्रसिंह की पासवान कर्मा खाती के महल है जिसे ‘खातड रानी का महल’ कहते हैं। कर्मा खातण के पुत्र चचा और मेरा ने राणा मोकल की हत्या कर दी थी।
- घोड़ी की नाल के समान, इल्ली के समान आकार वाला जिला चित्तौड़ है।
- घोसुण्डा व निम्बाहेड़ा का तुर्रा कलंगी ख्याल प्रसिद्ध है।
- घोसुण्डी शिलालेख-चितौड़गढ़ में है, जिसे पहली बार डी.आर.भण्डारण ने पढ़ा, इस शिलालेख से वैष्णव सम्प्रदाय की जानकारी मिलती है।
- चितौड़गढ़ का कुंभ श्याम मंदिर — 8वीं शती में चितौड़गढ़ दुर्ग में कुंभ श्याम मंदिर व कालिका माता (मूल रूप से सूर्य मंदिर) जैसे विशाल प्रतिहारकालीन मंदिरों का निर्माण हुआ। ये दोनों देवालय मेवाड़ में मंदिर निर्माण के वास्तुशिल्प इतिहास में रेखांकित किये जाने वाले कोष चिन्ह के समान हैं। ये दोनों विशाल मंदिर महामारू शैली के हैं। महाराणा कुंभा ने 15वीं शती में कुंभ श्याम मंदिर का जीर्णोद्वार कराया था।
- चित्तौड़ का लेख-इसके अनुसार देवालय (मंदिरों) में स्त्रियों का प्रवेश निषेध था।
- चित्तौड़गढ़ के उत्तर में भीलवाड़ा, पूर्व में मध्यप्रदेश, दक्षिण में प्रतापगढ़, पश्चिम में उदयपुर व उत्तर पश्चिम में राजसमंद जिला है।
- चित्तौड़गढ़ के उपनाम → राजस्थान का गौरव, खिज्राबाद, शक्ति और भक्ति का नगर आदि नामों से चित्तौड़गढ़ को जाना जाता है।
- चित्तौड़गढ़ के बस्सी कस्बे में बस्सी अभयारण्य में ओरई व ब्राह्मणी (बामनी) नदियों का उद्गम है।
- चित्तौड़गढ़ जिले का क्षेत्रफल – 10856 वर्गकिलोमीटर है।
- चित्तौड़गढ़ जिले की बस्सी की काष्ठ कला व खिलौना उद्योग, पहुंना का लौह उद्योग और आकोला की रंगाई -छपाई पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। यहाँ का तुर्रा कलंगी खेल तथा बाँस पर भवाई नृत्य की कला भी अनूठी व दर्शनीय है। आकोला ग्राम बेड़च नदी के तट पर स्थित है। यहाँ के वस्त्रों की छपाई ‘आकोला प्रिंट्स’ के नाम से प्रसिद्ध है।
- चित्तौड़गढ़ जिले की मानचित्र के अनुसार स्थिति – 24°13′ से 25°13′ उत्तरी अक्षांश तथा 74°04′ से 75°53′ पूर्वी देशान्तार
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग में प्राप्त धाईवी पीर दरगाह के लेख से ज्ञात होता है कि सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने सन् 1303 ई. में इस दुर्ग पर कब्जा कर चित्तौड़ का नाम ‘खिज्राबाद’ रखा था।
- चूडा को ‘मेवाड़ का भीष्म पितामह’ कहा जाता है।
- चूलिया प्रपात — चित्तौड़गढ़ के चूलिया गाँव में चम्बल नदी पर 60 फीट ऊँचा जलप्रपात है।
- जिले का कुल वनीय क्षेत्रफल – 1120.75 वर्गकिलोमीटर है।
- जैन कीर्ति स्तम्भ — प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित यह स्मारक दिगम्बर जैन महाजन जीजाक द्वारा बनवाया गया था। यह चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है।
- जौहर मेला — दुर्ग चित्तौड़गढ़
- तुलजा भवानी मंदिर — चित्तौड़गढ़ दुर्ग में अंतिम द्वार रामपोल से दक्षिण की ओर तुलजा भवानी माता का मंदिर है, जिसका निर्माण उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर ने कराया था। इसी के पास पुरोहित जी की हवेली स्थित है।
- नगरी(माध्यमिका) — बेड़च नदी के किनारे स्थित राजस्थान का प्राचीन कस्बा, जो चित्तौड़ से 13 किमी उत्तर में हैं।
- नटों की सबसे बड़ी बस्ती-सज्जनखान का डेरा, निम्बाहेड़ा, चित्तौड़ में है।
- नौगजा पीर की कब्र — यह चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है।
- पद्मिनी महल — चित्तौड़गढ़ दुर्ग में सूर्य कुण्ड के दक्षिण में तालाब के किनारे रानी पद्मिनी के महल स्थित है।
- प्रसिद्ध लोकदेवता रामदेवजी का एक मन्दिर सुरताखेड़ा (चित्तौड़गड़) में भी है।
- फतेहप्रकाश महल — कुंभा महल के प्रमुख प्रवेश द्वार ‘बड़ी पोल’ से बाहर निकलते ही फतह प्रकाश महल है। इसे अब राजकीय म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया गया है। इसके पास ही चतुर्भुजनाथ का भव्य मंदिर है।
- बस्सी : यह स्थान लकड़ी के खिलौने व कठपुतली बनाने के लिए जाना जाता है।
- बाड़ोली के शिव मंदिर — उत्तरगुप्तकालीन यह मंदिर परमार राजा हुन ने बनवाया था। यह बामनी और चंबल नदी के संगम क्षेत्र में राणा प्रताप सागर बाँध के निकट चित्तौड़गढ़ के भैंसरोड़गढ़ में स्थित है। इन मंदिरों को सर्वप्रथम मंदिर प्रकाश में लाने का कार्य 1821 में जेम्स टॉड ने किया। इनका निर्माण 8वीं से 11वीं शताब्दी के मध्य हुआ। यह 9 मंदिरों का समूह है। इसमें सबसे प्रमुख मंदिर घाटेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है। ये मंदिर गुर्जर-प्रतिहार कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- भैंसरोड़गढ़ ब्राह्मणी (बामनी) और चम्बल नदी के संगम पर बसा हुआ है।
- मातृकुण्डिया का मेला — राशमी, हरनाथपुर
- मातृकुण्डिया राशमी(चित्तौड़गढ़) — चित्तौड़गढ़ जिले के राशमी पंचायत समिति क्षेत्र में स्थित हरनाथपरा ग्राम के पास बहने वाली चन्द्रभागा राशमी(चित्तौड़गढ़) व बनास नदी के किनारे स्थित यह तीर्थ मेवाड़ का हरिद्वार’ भी कहा जाता है। यहाँ पवित्र जल में अस्थियाँ प्रवाहित की जाती है। यहाँ प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला (हरिद्वार की भाँति) भी है।
- मानमोरी का शिलालेख-इसे कर्नल टॉड ने समुद्र में फैंका था। इसमें अमृत मंथन का उल्लेख है।
- मीरा मंदिर — यह मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्गम इन्डो-आर्य शैली में निर्मित है। मीरा बाई मेवाड़ के राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र भोज की पत्नी थी। ये श्रीकृष्ण की परम भक्त थी।
- मीरा महोत्सव — चित्तौड़गढ़
- मेवाड़ का हरिद्वार’ के नाम से प्रसिद्ध-मातृकुण्डिया, राशमी चित्तौड़ में है।
- राजस्थान की निजी क्षेत्र में प्रथम चीनी मिल-द मेवाड़ शुगर मिल्स लिमिटेड-1932 में, चित्तौड़गढ़ के भोपालसागर में है।
- राज्य स्तरीय मेवाड़ उद्योग उत्सव — चित्तौड़गढ़
- राम रावण मेला — बड़ी सादड़ी
- रैदास की छतरी — चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मीरां के मंदिर के सामने संत रैदास की छतरी स्थित है।
- विजय स्तम्भ — मालवा (मांडू) के सुल्तान महमद खिलजी पर विजय के उपलक्ष में महाराणा कुंभा द्वारा चित्तौड़गढ़ दुर्ग में 9 मंजिले (9 खण्डों के) विजय स्तम्भ का निर्माण 1440 ई. में प्रारंभ करवाया गया। यह 1448 में बनकर पूर्ण हुआ। इस स्तम्भ पर ‘अल्लाह’ खुदा हुआ है। इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्व कोष’ भी कहा जाता है।
- वीनौता की बावड़ी — जिले की बड़ी सादड़ी तहसील में स्थित इस बावड़ी का निर्माण स्थानीय जागीरदार सूरजसिंह शक्तावत ने करवाया था।
- श्री शनि महाराज आलीधाम — कपासन, चित्तौड़गढ़ में स्थित शनि महाराज का मंदिर। यहाँ एक प्राकृतिक तेल कंड है जिसमें शनि महाराज को चढ़ाया गया तेल इकट्ठा होता रहता है जिसका उपयोग चर्म रोग के उपचार में किया जाता है।
- श्रृंगार चवरी — शान्तिनाथ जैन मंदिर जिसे महाराणा कुंभा के कोषाधिपति के पुत्र वेलका ने 1448-49 ई. में बनवाया था जो चित्तौड़गढ़ किले में ही स्थित है।
- सतबीस देवरी — 11वीं सदी में चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर बना एक भव्य जैन मंदिर, जिसमें 27 देवरियाँ होने के कारण ‘सतबीस देवरी’ कहलाता है। .
- सफेद सीमेंट का तीसरा कारखाना-मांगरोल चित्तौड़ में है।
- सांवलियाजी का मेला — मण्डफिया
- हजरत दीवान शाह की दरगाह-कपासन, चित्तौड़गढ़ में है।
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